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इंडियाज सन्स - दीपक दुआ द्वारा वृत्तचित्र समीक्षा

(This Review is featured in IMDb Critics Reviews)
करण ओबरॉय नाम के अभिनेता याद हैं आपको? वही करण जिन्होंने ‘स्वाभिमान’, ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’, ‘दिशाएं’, ‘साया’, ‘आहट’ जैसे कई टी.वी. धारावाहिकों में काम किया, ‘ए बैंड ऑफ बॉयज़’ बना कर कई सारे गाने गाए और अचानक एक दिन एक महिला ने उन पर रेप का आरोप लगा कर उन्हें जेल भिजवा दिया।
ऐसे और भी बहुत सारे केस और किस्से अक्सर सामने आते रहते हैं जिसमें किसी महिला ने किसी पुरुष पर बलात्कार का आरोप लगाया और पुलिस ने उस आदमी को गिरफ्तार कर लिया। दरअसल 2012 के निर्भया कांड के बाद कानून में आए बदलाव के मुताबिक यदि कोई महिला पुलिस के सामने जाकर सिर्फ यह बयान भर दे दे कि किसी आदमी ने उसका यौन-शोषण किया है तो उसे साबित करने की ज़िम्मेदारी उस महिला की नहीं होगी बल्कि उस आदमी को यह साबित करना होगा कि वह बेकसूर है। अक्सर ऐसे आरोप बाद में झूठे साबित होते हैं लेकिन तब तक उस आदमी का कैरियर, इज़्ज़त, समय, पैसा और ज़िंदगी अक्सर बर्बाद हो चुके होते हैं। इनमें से कई लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं। जियो सिनेमा पर आई डॉक्यूमैंट्री ‘इंडियाज़ सन्स’ ऐसे ही कुछ केसों और इस कानून के दुरुपयोग की पड़ताल करती है।
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